उन्होंने कहा, “विश्व हमारे रक्षा क्षेत्र को नए सम्मान की दृष्टि से देख रहा है. वित्तीय प्रक्रियाओं में एक भी देरी या त्रुटि अभियानगत तैयारियों को सीधे प्रभावित कर सकती है.” सिंह ने कहा, “अधिकतर उपकरण जो हम पहले आयात करते थे, अब भारत में बनाए जा रहे हैं. हमारे सुधार उच्चतम स्तर पर स्पष्ट दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता के कारण सफल हो रहे हैं.” रक्षा मंत्री रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) के नियंत्रकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
रक्षा मंत्री ने रक्षा विभाग के नए आदर्श वाक्य “सतर्क, सक्रिय, अनुकूल’ की प्रशंसा की तथा कहा कि ये महज शब्द नहीं हैं, बल्कि आज के तेजी से विकसित हो रहे रक्षा परिवेश में आवश्यक कार्य संस्कृति का प्रतिबिंब हैं. उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे केवल बाहरी ‘ऑडिट’ या सलाहकारों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मावलोकन के माध्यम से आंतरिक सुधार करें.
रक्षा मंत्री ने कहा, “चाहे उपकरण उत्पादन बढ़ाना हो या वित्तीय प्रक्रियाओं को अनुकूलित करना हो, हमें हर समय नवीन तकनीकों और प्रणालियों के साथ तैयार रहना चाहिए.” उन्होंने डीएडी से कहा कि वह इस मानसिकता को अपनी योजना, बजट और निर्णय लेने की प्रणालियों में शामिल करे. रक्षा क्षेत्र के बढ़ते सामरिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने रक्षा व्यय को महज व्यय मानने की धारणा को बदलने से लेकर गुणक प्रभाव वाले आर्थिक निवेश के रूप में बदलने का आह्वान किया.
उन्होंने कहा, “हाल तक रक्षा बजट को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं माना जाता था. आज वे विकास के वाहक हैं.” रक्षा मंत्री ने रक्षा विभाग से आग्रह किया कि वह अपनी योजना और आकलन में रक्षा अर्थशास्त्र को शामिल करे, जिसमें अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों का सामाजिक प्रभाव विश्लेषण भी शामिल हो.