Sadhguru Wisdom: सद्गुरु कहते हैं कि दुनिया में कुछ भी बाहर नहीं है सब कुछ आपके अंदर ही है. पीड़ा और सुख, खुशी और गम सब आपके भीतर छीपा हुआ है. दुनिया में जो कुछ भी होता है, वह भले बाहरी हो, लेकिन उसका अनुभव भीतर से ही उत्पन्न होता है.
जब इंसान कहता है कि मैं दुखी हूं, तो वह दरअसल अपनी ही मानसिक प्रक्रिया से दुखी रहता है. हमारे विचार और भावनाएं ही हमारे सुख-दुख के कारण हैं.
समझना होगा न्यूरोलॉजिकल सिस्टम
सद्गुरु कहते हैं कि आप कैसे सोचते और महसूस करते हैं, यह आपके हाथ में होना चाहिए. अगर आपके भीतर जो कुछ हो रहा है वह आपकी मर्जी से नहीं हो रहा, तो इसका मतलब है कि आपने जीवन की प्रकृति को अब तक नहीं समझा.
वे समझाते हैं कि इंसान को प्रकृति ने सबसे विकसित न्यूरोलॉजिकल सिस्टम दिया है. हमने उसका यूज़र्स मैनुअल नहीं पढ़ा. नतीजा यह है कि वही बुद्धि जो हमें ऊँचाई तक ले जा सकती थी, अब हमारे खिलाफ काम कर रही है.
जीवन दुखी नहीं, इसे समझना जरूरी
वे कहते हैं कि दुनिया में कोई और प्राणी अपने जीवन को लेकर इतना संघर्ष नहीं करता जितना इंसान करता है. मनुष्य की बुद्धि अनियंत्रित है. अगर आपकी बुद्धि आपके खिलाफ काम करने लगे, तो कोई ताकत आपको नहीं बचा सकती.
सद्गुरु के अनुसार जीवन दुख नहीं है. यह एक अद्भुत प्रक्रिया है. अगर आप इसकी सवारी करते हैं तो यह सुंदर है, अगर आप इसके नीचे कुचलते हैं तो यह भयानक है.
वे कहते हैं कि इनर इंजीनियरिंग का अर्थ है अपने भीतर के यंत्र को समझना, उसे संतुलित और सामंजस्यपूर्ण बनाना है. दुनिया को हमने मकान, सड़कें, तकनीक बनाई है. लेकिन अपने भीतर की मशीन को संभालना नहीं सीखा. इसलिए बाहरी सुविधाएं बढ़ीं, पर व्यक्ति का जीवन सुखमय नहीं हुआ.
दुख का कारण बाहर नहीं है, भीतर ही है
सद्गुरु कहते हैं कि आप चाहे अमीर हों या गरीब, शिक्षित हों या अनपढ़, शादीशुदा हों या अकेले हैं लोग हर अवस्था में दुखी हैं. इसका कारण बाहर नहीं, भीतर ही है. यह आज के समय में समझना जरूरी है. अगर आपके भीतर का संसार आपकी मर्जी से चलता, तो आप दुखी नहीं रहता लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपको आनंद को समझना होगा.
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