पीयूष पांडेय का निधन कैसे हुआ
भारतीय विज्ञापन जगत में उन्हें महान कहा जाता है. उन्हें पद्मश्री से नवाजा जा चुका था. पीयूष पांडे एक महीने से कोमा में थे और गंभीर संक्रमण (इंफेक्शन) से जूझ रहे थे. पीयूष पांडे ने ‘हमारा बजाज’, ‘फेविकॉल का जोड़’, ‘कैडबरी का कुछ खास है’, ‘दो बूंद जिंदगी की’ पोलियो अभियान और ‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसे आइकॉनिक विज्ञापनों से भारतीय विज्ञापन को नई पहचान दी.
कौन थे पीयूष पांडे
विज्ञापन की दुनिया में बड़ा नाम
उनका पहला प्रिंट विज्ञापन सनलाइट डिटर्जेंट के लिए लिखा गया. छह साल बाद वे क्रिएटिव विभाग में आए और लूना मोपेड, फेविकोल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे ब्रांड्स के लिए कई प्रसिद्ध विज्ञापन बनाए। इसके बाद उन्हें क्रिएटिव डायरेक्टर और फिर राष्ट्रीय क्रिएटिव डायरेक्टर बनाया गया. 1994 में उन्हें ओगिल्वी इंडिया के निदेशक मंडल में भी स्थान मिला. उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया ने लगातार 12 वर्षों तक भारत की नंबर 1 एजेंसी का दर्जा हासिल किया.
पीयूष पांडे के काम
पीयूष पांडे द्वारा बनाए गए विज्ञापन आज भी लोगों की यादों में बसे हुए हैं. उन्होंने एशियन पेंट्स के लिए ‘हर खुशी में रंग लाए,’ कैडबरी के लिए ‘कुछ खास है,’ फेविकोल के लिए आइकॉनिक ‘एग’ विज्ञापन और हच के पग वाले विज्ञापन जैसी रचनाएं तैयार कीं. इसके अलावा, उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी नारा ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ दिया. उनका योगदान केवल व्यावसायिक विज्ञापन तक सीमित नहीं था. उन्होंने राष्ट्रीय एकता गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ लिखा और कई सामाजिक अभियान जैसे पोलियो जागरूकता और धूम्रपान विरोधी अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई.
क्या-क्या सम्मान मिला?
पीयूष पांडे को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें 2016 में पद्म श्री से नवाजा गया और 2024 में एलआईए लीजेंड अवार्ड दिया गया. इसके अलावा, उन्हें क्लियो लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, मीडिया एशिया अवार्ड्स और कान्स लायंस में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिल चुके हैं. उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया को वैश्विक स्तर पर सबसे रचनात्मक कार्यालयों में से एक माना गया. उनकी रचनात्मकता, सहजता और भारतीय विज्ञापन को दी गई दिशा उन्हें हमेशा यादगार बनाएगी.

