बचपन ऐसा समय होता है, जब आप अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा और ज्ञान के साथ ही धार्मिक क्रियाओं से जोड़कर उनमें अच्छे संस्कार को विकसित कर सकते हैं. इसलिए पूजा-पाठ जैसी चीजों में उन्हें जरूर शामिल करें, जिससे कि बच्चों को आप धार्मिक रीति-रिवाज, प्रकृति प्रेम, आस्था और भारतीय संस्कृति की परंपरा के बारे में बता सकते हैं.
सावन का पवित्र महीना चल रहा है. सावन का महीना आस्था और श्रद्धा का प्रतीक तो है ही. साथ ही इस महीने शिव पूजन व्रत और अनुष्ठान जैसी गतिविधियां भी होती हैं. छोटे बच्चे भले ही व्रत न रखें, लेकिन सावन में आप बच्चों को कुछ कामों में शामिल करके उनमें धार्मिक गुण विकसित कर सकते हैं. क्योंकि बच्चे किसी भी चीज से तभी जुड़ पाते हैं, जब उन्हें जिम्मेदारी दी जाती है. आइये जानते हैं सावन में बच्चों से कौन से काम कराने चाहिए.
सावन में बच्चों से कराएं ये काम
पूजा की तैयारी में करें शामिल- सावन में शिवजी की पूजा से पहले पूजा की तैयारी की जाती है. इस काम को करते समय आप अपने बच्चे को भी इसमें शामिल कराएं. बीच-बीच में उन्हें पूजा संबंधित चीजों की जानकारी भी दें. बच्चों से बेलपत्र, कलश में पानी भगवाना, फूल आदि लाने के लिए कहें. बेलपत्र में उनसे त्रिशूल या ऊं जैसे शुभ चिह्न बनवाएं. इससे वे प्रकृति से जुड़ी चीजों के बारे में भी जानेंगे और धार्मिक व आध्यात्मिक विकास भी होगा.
साथ मंदिर लेकर जाएं- जब आप पूजा के लिए मंदिर जाएं तो बच्चे को भी साथ लेकर जाएं. या अगर आप घर ही पूजा कर रहे हैं तो बच्चे को भी इसमें शामिल करें. बच्चे को भी शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए कहें और पूजा-पाठ की विधि से अवगत कराएं. परिवार के लोग जब एक साथ पूजा-पाठ करते हैं तो इससे पारिवारिक एकता भी बढ़ती है.
मंत्र और भजन करें शामिल- छोटे बच्चे पूरी तरह से भजन या मंत्र का जाप करने में सक्षम नहीं होते हैं. लेकिन आप उन्हें सरल मंत्र जैसे ऊं नम: शिवाय सिखा सकते हैं. जब आरती करें तो उन्हें घंटी बजाने को कहे या भजन सुनते समय उन्हें ताली बजाने को कहे. इन कामों से बच्चे में आध्यात्मिक गुण का विकास तो होगा ही, साथ ही वे आनंद का अनुभव भी करेंगे.
भजन या पौराणिक कहानियां सुनाएं- सावन महीने में आप बच्चों को शिवजी के कहानी सुनाएं. बच्चे कहानियां सुनना काफी पसंद करते हैं. सावन महीने में आप बच्चों को सुलाते समय या खाली समय में शिव, गणेश या शिव परिवार की छोटी-छोटी कथा-कहानियां सुना सकते हैं. इससे बच्चों की शब्दावली बढ़ेगी. साथ ही धार्मिक और पौराणिक ज्ञान भी बढ़ेगा.
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