ऑपरेशन सिंदूर में महिला पायलटों ने निभाई बड़ी भूमिका, महिला नेवी अफसरों के स्वागत के दौरान किया रक्षामंत्री ने खुलासा

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ऑपरेशन सिंदूर में महिला पायलटों ने निभाई बड़ी भूमिका, महिला नेवी अफसरों के स्वागत के दौरान किया रक्षामंत्री ने खुलासा


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INSV TARINI: समंदर में एक दिन भी बिताना किसी चुनौती से कम नहीं है. भारतीय नौसेना की दो महिला अफसरों ने 8 महीने में 43,000 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय किया है, भारतीय महिला अफसरों ने आज दुनिया में साहस से ऐसा म…और पढ़ें

रक्षामंत्री राजनाथ ने किया महिला नेवी अफ्सरों का स्वागत

INSV TARINI: ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना के तीनों अंगों में शामिल महिलाओं ने अपने दमखम को दिखाया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गर्व महसूस करते हुए कहा कि देश की बेटियां किसी से कम नहीं है. उन्होंने भारतीय नौसेना की दो जाबांज महिला अफसरों, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए, का स्वागत करते हुए यह बात कही. दोनों महिला अफसर 8 महीने में 43,000 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर पूरी दुनिया का चक्कर लगाकर लौटी थीं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उन्हें रिसीव करने के लिए गोवा पहुंचे थे. उन्होंने कहा, “मैं रूपा और दिलना का स्वागत करता हूं और उन्हें आशीर्वाद देता हूं. देश को आप पर गर्व है.” उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में महिलाओं की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि आपको यह जानकर खुशी होगी कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं के हर अंग में महिलाओं ने सक्रिय और प्रभावी भागीदारी की है. बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में जो आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की है, उसे अंजाम देने में महिला पायलटों और अन्य महिला सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. आपकी यह उपलब्धि किसी से कम नहीं है. समंदर में लोगों से दूर रहना अपने आप में ही एक उपलब्धि है.

चुनौतियों से भरा सफर खत्म
नौसेना के शिप INSV तरिणी पर सवार होकर दो महिला अफसर लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए 2 अक्टूबर 2024 को दुनिया का चक्कर लगाने निकली थीं. 8 महीने बाद 50,000 किलोमीटर का सफर तय कर उनकी घर वापसी हो गई. इस चुनौती भरे सफर में दोनों अफसरों ने 25,400 नॉटिकल मील यानी करीब 43,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय की. 4 कॉन्टिनेंट, तीन समुद्र और 3 केप – इसमें ऑस्ट्रेलिया की केप ल्यूविन, साउथ अमेरिका की केप होर्न, और साउथ अफ्रीका में केप ऑफ गुड होप्स को खतरनाक समुद्री स्थितियों को सफलतापूर्वक पार किया. इस पूरे सफर में तरिणी किसी कनाल या स्ट्रेट से नहीं गुजरी. इस पूरे सफर में इक्वेटर को कम से कम दो बार पार किया है. इस यात्रा में लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए ने ग्रेवयार्ड ऑफ स्पेसक्राफ्ट, मोस्ट रिमोट लोकेशन ऑन अर्थ के नाम से भी जाना जाने वाले पॉइंट नीमो को सफलतापूर्वक पार किया. यहां पर किसी इंसान की सबसे नजदीक मौजूदगी सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में मौजूद एस्ट्रोनॉट की होती है, जो इसके 400 किलोमीटर ऊपर ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है.

8 महीने में बोट से नाप दी पूरी दुनिया
भारतीय नौसेना का नाविका सागर परिक्रमा का दूसरा एडिशन है. INSV तरिणी 17 मीटर लंबी और 5 मीटर चौड़ी एक नाव है. यह बोट सिर्फ समुद्री हवा की गति से चलती है, इसमें कोई इंजन नहीं है. दोनों महिला अफसर बोट को हवा की ताकत से ही चला रही थीं. इस दौरान उन्हें हाई सी और एक्सट्रीम वेदर कंडीशन का सामना करना पड़ा. इस सफर पर निकलने से पहले लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा करीब तीन साल से तैयारी कर रही थीं. नेवी ने सागर परिक्रमा के दूसरे एडिशन के लिए वॉलेंटियर्स मांगे थे. इसके लिए कई महिला अधिकारी सामने आईं, उनमें से ये दो महिला अधिकारी चुनी गईं.समंदर में किसी भी तरह की मेडिकल इमर्जेंसी के लिए इन्होंने मेडिकल के गुर सीखे. 8 महीने के सफर में खुद का ध्यान खुद से रखा. इसके अलावा बोट का मेंटेनेंस करना भी सीखा. सर्कमनेविगेशन के लिए जरूरी है कि जिस पोर्ट से यात्रा शुरू हुई उसी पर सफर खत्म करना होता है. इससे पहले 2017 में नेवी की छह महिला अधिकारियों ने सर्कमनेविगेशन पूरा किया था.

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