भारत को हर्बल, आयुर्वेद और ऑर्गेनिक खेती में विश्व का नेतृत्वकर्ता बनाने के उद्देश्य से दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “खेत से उद्योग तक” का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड एग्रीकल्चर स्किल डेवलपमेंट और हैनीमैन चैरिटेबल
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डॉ. अतुल गुप्ता के निर्देशन में आयोजित इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से आए किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों ने भाग लिया। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों, उद्यमियों और निवेशकों को औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती, जैविक उत्पाद निर्माण, मार्केटिंग, निर्यात प्रक्रिया और सरकारी योजनाओं से जोड़ना था, ताकि भारत में औषधीय कृषि को एक उद्योग के रूप में विकसित किया जा सके।
इस अवसर पर डॉ. अतुल गुप्ता ने कहा कि आने वाला समय ऑर्गेनिक और औषधीय उत्पादों का है। यदि भारत संगठित रूप से इस दिशा में कार्य करे तो यह क्षेत्र हजारों करोड़ रुपए का उद्योग बन सकता है। उन्होंने जोर दिया कि विश्व की पाँच प्रतिशत आबादी आयुर्वेद को अपनाए, यही भारत की वास्तविक वैश्विक नेतृत्व यात्रा की शुरुआत होगी।
प्रतिभागियों ने काल भैरव भगवान के मंदिर के दर्शन किए, जो खेजड़ी के पवित्र वृक्ष के नीचे स्थित है।
औषधीय पौधों की खेती विशेष प्रशिक्षण दिया
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को औषधीय पौधों की खेती, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन, बिजनेस मॉडल, ब्रांड स्ट्रेटेजी, लेबल डिजाइनिंग, एक्सपोर्ट डॉक्यूमेंटेशन और सरकारी योजनाओं से फंडिंग प्रक्रिया पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
व्यवसायिक खेती का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया
सभी प्रतिभागियों को वैदिक वन औषधि पादप केंद्र में फील्ड विजिट भी कराई गई। यहां उन्हें अलोवेरा, अश्वगंधा, सफेद मुसली, काल हल्दी, मोरिंगा, तुलसी और क्विनोआ जैसे औषधीय पौधों की व्यवसायिक खेती का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने काल भैरव भगवान के मंदिर के दर्शन किए, जो खेजड़ी के पवित्र वृक्ष के नीचे स्थित है। डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी अपने औषधीय, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक और कृषि एवं जीवन शैली का अभिन्न अंग है।
10 राज्यों से आए प्रतिभागियों को IIAASD प्रमाणपत्र प्रदान किए
कार्यशाला में देश के 10 राज्यों से आए प्रतिभागियों को IIAASD प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। असम: मॉइनुल हक़, ओडिशा: सारेश्वर स्वाइन, महाराष्ट्र: शशिकांत गणपतरा, स्टीफन जॉन डिकोस्टा, हरियाणा: मयंक कौशिक, उमा कौशिक, बिहार: सोनू कुमार, दीपक कुमार, कर्नाटक: आनाथ मुकुंद सेनवी, उत्तर प्रदेश: संजय कुमार शर्मा, डॉ. ओमप्रकाश प्रसाद, डॉ. निमिषा गुप्ता, गौरव कुमार कौशिक, आंध्र प्रदेश: गुरिजाला साई सौम्याहिमाचल प्रदेश: डॉ. सुनील कुमार, विजय कुमार शर्मा, उत्तराखंड: तृपत पाल सिंह, मध्य प्रदेश: सुनील कुमार चंदानी इसमें शामिल रहे। वहीं राजस्थान से महेंद्र मेघवंशी, घनश्याम लाल मीणा, गौरव शर्मा, साधिया सोलंकीइन प्रतिभागियों ने अपने-अपने राज्यों में औषधीय और ऑर्गेनिक खेती के विस्तार हेतु सहयोग की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
कार्यशाला के समापन सत्र में प्रतिभागियों को मार्केटिंग स्ट्रेटेजी, एक्सपोर्ट बायर नेटवर्किंग और सरकारी योजनाओं से ₹5 करोड़ तक की फंडिंग प्रक्रिया पर जानकारी दी गई।अंत में सभी प्रतिभागियों को हैनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी और IIAASD की ओर से सम्मानित किया गया।

