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एक्टर बॉलीवुड की एक ऐसी शख्सियत है, जो अपनी दमदार आवाज, शानदार एक्टिंग के लिए मशहूर हैं, लेकिन वे शुरू में हकलाने की समस्या से पीड़ित थे. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और कभी न हार मानने वाले एटिट्यूड से हर समस्या पर जीत हासिल की.
नई दिल्ली: एक्टर का जन्म 7 अक्टूबर 1976 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. जन्मे शरद केलकर ने कभी सोचा नहीं था कि वह एक दिन ‘बाहुबली’ के मुख्य किरदार की आवाज बनेंगे या छत्रपति शिवाजी महाराज का किरदार निभाएंगे. दरअसल, उन्हें हकलाने की समस्या से पीड़ित थे. उन्होंने खुद पर काफी बदलाव किया और जिंदगी में आगे बढ़े. हम शलद केलकर की बात कर रहे हैं. फिजिकल एजुकेशन में डिग्री और बाद में एमबीए के बाद शरद ने मुंबई की चकाचौंध वाली दुनिया में कदम रखा. यहां उन्होंने न केवल अभिनय की उड़ान भरी, बल्कि वॉयसओवर आर्ट की दुनिया में भी राज किया.
मराठी ब्लॉकबस्टर ‘लई भारी’ से मारी एंट्री
शरद की फिल्मी दुनिया में एंट्री 2014 की मराठी ब्लॉकबस्टर ‘लई भारी’ से हुई, जहां खलनायक संगम के रोल ने उन्हें मराठी सिनेमा का चहेता बना दिया. बॉलीवुड में ‘हाउसफुल 4’ के सूर्यभान माइकल भाई ने कॉमेडी का जलवा बिखेरा, तो ‘तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर’ में छत्रपति शिवाजी महाराज के अवतार ने इतिहास को जीवंत कर दिया. अक्षय कुमार की फिल्म ‘लक्ष्मी’ में लक्ष्मी के रोल ने उनकी रेंज दिखाई. वह एक बेहतरीन वॉयसओवर आर्टिस्ट भी हैं. उनके वॉयसओवर का मैजिक ‘बाहुबली’ सीरीज, हॉलीवुड और साउथ की कई फिल्मों में दिखाई देता है.

(फोटो साभार: IANS)
चार दिनों में उतारा छत्रपति शिवाजी का किरदार
शरद केलकर से जुड़ा एक मजेदार किस्सा छत्रपति शिवाजी महाराज के किरदार से जुड़ा है, एक ऐसा किरदार जिसे निभाना अभिनय नहीं बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी होती है. आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, अभिनेता शरद केलकर ने फिल्म ‘तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर’ (2020) में यह प्रतिष्ठित भूमिका निभाई. दिलचस्प बात यह है कि इस महानायक के किरदार को पर्दे पर उतारने के लिए शरद केलकर को महीनों नहीं, बल्कि सिर्फ चार दिनों का समय मिला था. इतने कम समय में उन्होंने किस तरह महाराज की गरिमा, शौर्य और शालीनता को आत्मसात किया, यह किस्सा किसी भी कलाकार के समर्पण की मिसाल है.
शिवाजी महाराज के किरदार को जीवंत कर दिया
‘तान्हाजी’ फिल्म में शिवाजी महाराज का रोल भले ही छोटा था, लेकिन उसका भावनात्मक और ऐतिहासिक भार बहुत बड़ा था. मराठा साम्राज्य के संस्थापक की भूमिका में कोई भी कमी दर्शक स्वीकार नहीं करते. समय की कमी के बावजूद शरद केलकर ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. उन्होंने फिल्म की टीम के साथ मिलकर महाराज की चाल-ढाल, बैठने के तरीके और संवाद की शैली पर बहुत मेहनत की. उन्होंने समझा कि शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व सिर्फ रौबदार नहीं, बल्कि बहुत शालीन और शांत भी था.
छोटी सी भूमिका से बनाया बड़ा नाम 
शरद केलकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने किरदार को सिर्फ एक राजा के रूप में नहीं देखा, बल्कि एक ऐसे पिता, गुरु और दूरदर्शी नेता के रूप में देखा, जो अपने लोगों और सिद्धांतों के लिए अडिग खड़ा है. इस भावनात्मक जुड़ाव ने उन्हें ऊपरी हाव-भाव से हटकर, किरदार की आत्मा तक पहुंचने में मदद की. शरद केलकर के समर्पण का नतीजा पर्दे पर साफ दिखा. जब वह महाराज के रूप में स्क्रीन पर आए, तो उनकी उपस्थिति ने दर्शकों को बांध लिया. उनकी आंखों में दिखने वाला गहरा विश्वास और शालीनता फिल्म के सबसे यादगार पलों में से एक बन गया. उनका यह किरदार आलोचकों और दर्शकों दोनों को इतना पसंद आया कि कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस छोटी-सी भूमिका में उन्होंने शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व के साथ पूरा न्याय किया है.

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें
अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल… और पढ़ें

