सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम. पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश की. लेकिन इस सिफारिश पर जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कड़ा असहमति नोट दर्ज किया. उन्होंने कहा कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति न सिर्फ न्याय प्रशासन के लिए ‘उल्टा असर’ डालेगी, बल्कि कॉलेजियम सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करेगी. उनका विरोध खास तौर पर जस्टिस पंचोली के गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट तबादले की परिस्थितियों पर था.
पांच सदस्यीय कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस नागरत्ना शामिल थे. इनमें चार ने जस्टिस पंचोली की सिफारिश का समर्थन किया, जबकि जस्टिस नागरत्ना ने असहमति जताई.
तीन महीने बाद जस्टिस पंचोली की दोबारा सिफारिश
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नागरत्ना ने मई में ही जस्टिस पंचोली के नाम पर आपत्ति जताई थी और उस समय उनकी जगह जस्टिस एनवी अंजारिया को सुप्रीम कोर्ट भेजा गया था. अंजारिया वरिष्ठ भी थे और गुजरात हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व भी बनाए रखना ज़रूरी था. नागरत्ना को उम्मीद थी कि पंचोली का मामला खत्म हो गया है, लेकिन तीन महीने बाद फिर से सामने आने पर उन्होंने लिखित असहमति दर्ज की.
जस्टिस नागरत्ना ने अपने नोट में कहा कि जस्टिस पंचोली का 2023 में गुजरात से पटना तबादला सामान्य नहीं था, बल्कि सोच-समझकर और कई जजों से राय लेकर किया गया था. उन्होंने इस तबादले से जुड़े गोपनीय दस्तावेज देखने की मांग की.
वरिष्ठता में 57वें नंबर पर जस्टिस पंचोली
जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा कि पंचोली देशभर के हाईकोर्ट जजों की सीनियॉरिटी लिस्ट में 57वें स्थान पर हैं, जबकि उनसे कहीं वरिष्ठ और योग्य जज मौजूद हैं.
उन्होंने प्रतिनिधित्व का मुद्दा भी उठाया और कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के दो पूर्व जज जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस अंजारिया सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही हैं. ऐसे में तीसरे जज को उसी हाईकोर्ट से लाना संतुलन बिगाड़ देगा, जबकि कई हाईकोर्ट का कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है.
2031 में चीफ जस्टिस बन सकते हैं जस्टिस पंचोली
जस्टिस नागरत्ना ने यह भी लिखा कि अगर पंचोली को सुप्रीम कोर्ट भेजा गया तो वे अक्टूबर 2031 से मई 2033 तक चीफ जस्टिस बन सकते हैं. उनका मानना है कि यह संस्था के हित में नहीं होगा और इससे कॉलेजियम सिस्टम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा. उन्होंने यह भी आग्रह किया कि उनका असहमति नोट सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए ताकि निर्णय प्रक्रिया पारदर्शी रहे.
गौरतलब है कि जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी के जून में रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नागरत्ना अकेली महिला जज बची हैं. इसके बाद हुई तीन नियुक्तियों और अब की गई दो सिफारिशों में भी कोई महिला शामिल नहीं है.
दोनों जजों का सफर
जहां तक सिफारिशों की बात है, जस्टिस आलोक अराधे का जन्म 1964 में हुआ था. वे 2009 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज बने, बाद में जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और तेलंगाना हाईकोर्ट में सेवाएं दीं और 2025 में बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने.
वहीं, जस्टिस विपुल एम. पंचोली का जन्म 1968 में अहमदाबाद में हुआ. वे 1991 से गुजरात हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे थे और 2014 में अतिरिक्त जज बने. 2023 में उनका पटना तबादला हुआ और जुलाई 2025 में वे पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने.