परंपरागत खेती से हटकर ऑप्शनल फसलों की ओर रुझान दिखाने वाले किसानों की संख्या बिहार में भले कम हो, लेकिन बक्सर के तिवारीपुर निवासी प्रगतिशील किसान बैकुंठ तिवारी उर्फ दरोगा तिवारी ने इसे हकीकत बना दिया है। चार साल पहले शुरू की गई ड्रैगन फ्रूट की खेती आ
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दरोगा तिवारी बताते हैं, खेती योग्य जमीन अब कम होती जा रही है, ऐसे में पारंपरिक फसलों से मुनाफा मुश्किल है। इसलिए उन्होंने अपने छोटे भाई की प्रेरणा से ड्रैगन फ्रूट की खेती अपनाई। उनका भाई महिंद्रा एंड महिंद्रा में कार्यरत हैं और उसने 2019 में सुझाव दिया कि इस फल का भविष्य उज्जवल है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं बक्सर के किसान।
दरवाजे से शुरू कर दी थी प्रयोगात्मक खेती
शुरुआत में दरोगा तिवारी ने अपने घर के दरवाजे पर ही पांच टावर बनाकर चार-चार पौधे लगाए। डेढ़ साल में पौधों पर फूल और फल आए, और ट्रायल सफल रहा। इसके बाद उन्होंने 2021 में गुजरात से ऑनलाइन बीज मंगाए और व्यवसायिक रूप से खेती शुरू की।
यूट्यूब बना शिक्षक, फंगस की समस्या का भी समाधान निकाला
दरोगा तिवारी बताते हैं, शुरू में उन्हें इस फल की वेरायटी और रोगरोधी क्षमता के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन्होंने यूट्यूब के जरिए सीखा कि बिहार की मिट्टी में कौन-सी किस्म उपयुक्त होगी और फंगस या दीमक से बचाव कैसे किया जा सकता है।
उन्होंने ऐसी वेरायटी चुनी जो रोगरोधी और स्थानीय जलवायु के अनुकूल है। आधे एकड़ में खेती शुरू करने में साढ़े तीन लाख रुपए का खर्च आया। तीसरे साल तक सारी लागत वसूल हो गई और अब हर साल लाखों की कमाई हो रही है।

मॉर्डन खेती से कमा रहे लाखों रुपए।
ड्रैगन फ्रूट के साथ सब्जी और मूंग की भी खेती
दरोगा तिवारी ड्रैगन फ्रूट के साथ मूंग और सब्जी की फसलें भी उगाते हैं। मूंग की खेती मिट्टी में प्राकृतिक नाइट्रोजन की पूर्ति करती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। इसके साथ-साथ सब्जी और मूंग से उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी होती है।
ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से होती है पानी की बचत
ड्रैगन फ्रूट की खेती में पानी की जरूरत बहुत कम होती है। दारोगा तिवारी ने पूरे खेत में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया है, जिससे सिंचाई में पानी की काफी बचत होती है।हालांकि जब मूंग और सब्जी की खेती करते हैं, तो पूरे खेत की पटवन करनी पड़ती है।
पहले खुद प्रचार किया, अब मांग खुद-ब-खुद बढ़ी
शुरुआत में इस फल का बाजार खोजना बड़ी चुनौती थी। दरोगा तिवारी ने पहले अपने उपजाएं फल परिचितों और स्थानीय लोगों को खिलाए, इसके फायदों के बारे में बताया। धीरे-धीरे माउथ पब्लिसिटी से मांग बढ़ने लगी। अब लोग खुद उनके खेत पर आकर फल खरीदते हैं। उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया है जिसमें करीब 350 सदस्य हैं। जैसे ही फल की हार्वेस्टिंग होती है, वे सूचना डाल देते हैं और ग्राहक सीधे खेत पर आकर फल ले जाते हैं।

खेती पूरी तरह ऑर्गेनिक, फंगीसाइड्स भी खुद बनाते हैं।
सरकार को मार्केटिंग सुविधा विकसित करनी चाहिए
दरोगा तिवारी का कहना है कि अगर सरकार किसानों को सीधा बाजार उपलब्ध कराए तो उनका मुनाफा बिचौलियों के बजाय सीधे किसानों तक पहुंचेगा। आज भी किसान अपने उत्पाद को बाजार में बेचने जाते हैं तो उन्हें उचित दाम नहीं मिल पाता।
ड्रैगन फ्रूट पौष्टिक और सालभर फल देने वाला पौधा
यह फल विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है।दारोगा तिवारी बताते हैं कि इस फल की बढ़ती मांग को देखकर अब आसपास के कई किसान उनके खेत पर ट्रेनिंग लेने आते हैं।ड्रैगन फ्रूट का पौधा एक बार लगाने पर 25 साल तक फल देता है।वर्तमान में वे 16 कट्ठे में 210 टावर पर इसकी खेती कर रहे हैं।हर पौधे पर 50 से 120 फल लगते हैं और हर 25 दिन में 4 से 5 क्विंटल उत्पादन हो जाता है।
खेती पूरी तरह ऑर्गेनिक, फंगीसाइड्स भी खुद बनाते हैं
दरोगा तिवारी की पूरी खेती ऑर्गेनिक है, वे खुद गोबर की खाद, पेस्टिसाइड्स और फंगीसाइड्स तैयार करते हैं। इनमें आक, सरसों, नीम की खली और नीम तेल का प्रयोग करते हैं। वे बताते हैं कि फंगस और दीमक का खतरा बड़ा होता है, इसलिए नियमित निगरानी जरूरी है। अगर किसी पौधे में संक्रमण दिखे तो उसे तुरंत हटाकर खेत से दूर फेंक देते हैं। इन प्रगतिशील किसान से संपर्क करें: 6201608774

