Monday, November 3, 2025
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दिवाली पर कहीं आपका निकल न जाए ‘दिवाला’? डिजिटल अरेस्ट का नया तरीका उड़ा देगा होश, जानें कैसे बचें


Image Source : UNSPLASH
साइबर फ्रॉड

साइबर क्रिमिनल्स नए-नए तरीकों से लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं। हाल ही में डिजिटल अरेस्ट का एक ऐसा ही केस सामने आया है। इसमें साइबर अपराधी ने विक्टिम के अकाउंट से 64 लाख रुपये उड़ा लिए। दिवाली के मौके पर कहीं आपके साथ भी ठगी न हो जाए इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आप साइबर अपराधियों के चगुंल में न फंस सके।

रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर ठगी का यह मामला गुजरात के वडोदरा शहर के मकरपुरा में रहने वाले विवेक सोनार का है। साइबर क्रिमिनल्स ने विवेक को डिजिटल अरेस्ट कर लिया और बड़ी ही चालाकी से उसके अकाउंट से 64 लाख रुपये की ठगी कर ली। साइबर ठगों ने विवेक को डिजिटल अरेस्ट करके उसके साथ ठगी करने के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित किया है।

15 अक्टूबर को वडोदरा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में विवेक ने साइबर फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318(4), 336(2), 336(3), 338, 340(2), 54, 61(2) और आईटी एक्ट 66(d) के तहत मामला दर्ज किया और केस की जांच कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 67 साल के विवेक ने बताया कि साइबर अपराधियों ने उनके साथ 23 मई से 9 जून के बीच यह ठगी की और RTGS के जरिए 64,41,500 रुपये अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवाए।

कैसे हुई ठगी?

दरअसल, साइबर ठगों ने विवेक को फोन करके मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी दी। अज्ञात पहचान वाले शख्स ने विवेक को मुंबई साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर विशाल ठाकुर के नाम वीडियो कॉल करके धमकी दी। जांच के नाम पर बुजुर्ग से वाट्सऐप के जरिए आधार कार्ड मांगा गया। आधार कार्ड मांगने के बाद बुजुर्ग से कहा गया कि आपके नाम से तामिलनाडु, हरियाणा, पंजाब जैसे अलग-अलग राज्यों में बैंक अकाउंट खुलवाए गए हैं। विवेक ने बताया कि वो इनमें से किसी भी राज्य नहीं गए हैं और न ही अकाउंट ओपन कराया है। 

साइबर अपराधियों ने इसके बाद वाट्सऐप के जरिए सीबीआई का फेक लेटरपैड और सिग्नेचर वाला एक लेटर भेजा। बुजुर्ग से जांच के लिए उनकी बैंक डिटेल्स के अलावा म्युचुअल फंड, फिक्स डिपॉजिट आदि की जानकारी मांगी गई। इस दौरान साइबर अपराधी ने बुजुर्ग को कॉल डिसकनेक्ट न करने और घर से बाहर नहीं निकलने के लिए कहा था। इसके बाद बुजुर्ग को अलग-अलग अमाउंट के RTGS करने के लिए कहा गया। 27 मई से लेकर अगले कुछ दिनों तक बुजुर्ग को पैसे ट्रांसफर करने के निर्देश दिए गए और कहा गया कि जांच होने के बाद उनके अकाउंट में ये सभी पैसे वापस ट्रांसफर कर दिए जाएंगे।

9 जून को जब विवेक ने और पैसे ट्रांसफर करने से मना किया और अभी तक भेजे गए पैसे का हिसाब मांगा तो साइबर अपराधी ने उनसे और भी पैसे की मांग की। इसके बाद बुजुर्ग को साइबर फ्रॉड की भनक लगी और उन्होंने पुलिस में जाकर शिकायत की। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट में फंसाया हो।

जानें कैसे बचें?

  • किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल्स और मैसेज को इग्नोर करें।
  • कोई भी अधिकारी किसी को भी डायरेक्ट कॉल नहीं करते हैं। इसके लिए एक पूरी प्रक्रिया होती है।
  • ऐसे में अगर कोई किसी विभाग का अधिकारी बनकर कॉल करे तो उसके नंबर को तुरंत संचार साथी के Chakshu पोर्टल पर रिपोर्ट कर दें।
  • फोन कॉल्स और मैसेज के जरिए अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड या बैंक डिटेल्स आदि की जानकारी किसी के साथ शेयर न करें।

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