नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश का असर अब बिहार के उत्तरी जिलों में दिखाई देने लगा है। खासकर मुजफ्फरपुर जिले में बागमती नदी उफान पर है। पिछले तीन दिनों से जलस्तर लगातार बढ़ने से निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
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बागमती का पानी अब नवादा, हरिपुर, मधुरपट्टी और आसपास के गांवों में पहुंच गया है। कई जगह लोगों के घरों और आंगनों में पानी घुस चुका है। नवादा गांव में तेजी से बढ़ा कटाव, सड़क का हिस्सा बहानवादा गांव में बागमती नदी के तेज बहाव से कटाव ने विकराल रूप ले लिया है।
नदी किनारे बसे कई घर और खेत धीरे-धीरे ध्वस्त हो रहे हैं। गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क का बड़ा हिस्सा पानी में समा गया, जिससे गांव का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। बागमती किनारे बालू की बोरी और मिट्टी के ढेर लगाकर पानी को रोकने की कोशिश की जा रही है। लोगों को अब नाव या अस्थायी बांस के पुल से आवाजाही करनी पड़ रही है।
घर में घुसा बाढ़ का पानी।
हरिपुर और मधुरपट्टी में दहशत का माहौल
गायघाट प्रखंड के हरिपुर गांव में भी कटाव जारी है। नदी किनारे बने कई घरों की दीवारें दरक चुकी हैं। लोग दिन-रात चौकसी में लगे हैं कि कहीं पानी अचानक से घरों में न घुस जाए। बांध, सड़क टूटने से यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। ग्रामीणों को बाजार या अस्पताल जाने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है।
वहीं, मधुरपट्टी गांव में पुल नहीं होने से पहले ही लोगों को नाव पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब जलस्तर बढ़ने से नाव चलाना भी खतरनाक हो गया है। नाविकों का कहना है कि नदी की धारा इतनी तेज है कि थोड़ी सी चूक से नाव पलट सकती है।
औराई में खतरे की घंटी
औराई प्रखंड बागमती के साथ-साथ लखनदेई नदी के उफान से भी प्रभावित है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जमींदारी बांध पर अब पानी का दबाव बढ़ गया है। अगर बांध टूटा तो आसपास के गांव महुआडाबर, पकड़ी और गोरौल टोला पूरी तरह जलमग्न हो सकते हैं। डर से ग्रामीण रात में सो नहीं पा रहे है। प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई राहत या बचाव दल मौके पर नहीं पहुंचा है।
प्रशासन की चुप्पी पर भड़के ग्रामीण
ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ की आशंका की सूचना पहले ही प्रशासन को दी गई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। न तो बाढ़ चौकियों पर कर्मचारी हैं, न नावों की व्यवस्था की गई है। हरिपुर निवासी सोनू मिश्रा ने कहा कि बाढ़ आने से पहले तैयारी होनी चाहिए, लेकिन यहां तो पानी सिर पर चढ़ने के बाद भी कोई देखने नहीं आता।
जिला प्रशासन की ओर से फिलहाल राजस्व विभाग ने निगरानी के लिए टीम भेजने की बात कही गई है। गायघाट अंचल अधिकारी ने बताया कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है और जलस्तर बढ़ने पर राहत शिविर की तैयारी शुरू कर दी जाएगी।
गंदा पानी पीने को मजबूर
पानी, बिजली और भोजन की कमी प्रभावित इलाकों में अब पेयजल और बिजली संकट भी गहराने लगा है। कई हैंडपंप पानी में डूब गए हैं, जिससे लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। बच्चों और बुजुर्गों में बुखार और त्वचा रोग की शिकायतें बढ़ने लगी हैं।रसोई घरों में पानी भर गया है, जिससे खाना बनाना मुश्किल हो गया है। कई परिवारों ने अपने मवेशी सुरक्षित स्थानों पर भेज दिए हैं।
शिविर, नाव और मेडिकल कैंप की मांग
लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत राहत शिविर, नाव सेवा और मेडिकल कैंप की व्यवस्था की जाए। बाढ़ से पहले ही गांवों में खाद्यान्न और पशुचारा भेजने की जरूरत है ताकि आने वाले दिनों में संकट न गहराए।

