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मासूमियत भरी मुस्कान और सादगी भरे चेहरे के साथ जब वह स्क्रीन पर पहली बार नजर आईं, तो दर्शकों ने उन्हें दिल से अपनाया.उनका फिल्मी सफर, खास तौर से डेब्यू की कहानी बेहद दिलचस्प है.
नई दिल्ली. बॉलीवुड में कई सितारे ऐसे आए, जिन्होंने पहली ही फिल्म से लोगों के दिलों पर राज किया. मगर चकाचौंध और ग्लैमर की दुनिया छोड़कर उन्होंने एक बिल्कुल अलग राह चुन ली. ऐसी ही एक अदाकारा हैं, जिनके पिता हिंदू और मां ईसाई हैं. यही वजह रही कि उनका बचपन दो संस्कृतियों और दो परंपराओं के संगम में बीता. खूबसूरती ऐसी कि लोग उन्हें ‘हूर की परी’ कहकर पुकारते थे. उनकी पहली फिल्म आते ही दर्शकों ने उन्हें सिर-आंखों पर बैठा लिया। स्क्रीन पर उनकी मासूमियत, खूबसूरत मुस्कान और गहरी आंखों का जादू ऐसा था कि क्रिटिक्स ने भी कहा ये लंबा टिकेगी…ऐसी ही एक एक्ट्रेस हैं ट्यूलिप जोशी.

ट्यूलिप जोशी का जन्म 11 सितंबर 1980 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता गुजराती हिंदू थे और उनकी मां अर्मेनियाई-लेबनानी ईसाई थीं, जिसके चलते उनका लालन-पालन मिश्रित संस्कृति के तहत हुआ. उन्होंने मुंबई के जमनाबाई नरसी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की और फिर फूड साइंस और केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया. उन्हें मॉडलिंग में शुरू से ही दिलचस्पी रही। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने कुछ विज्ञापनों में काम करना शुरू कर दिया था. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

साल 2000 में उन्होंने फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया, हालांकि वे फाइनल में नहीं पहुंच सकीं, लेकिन उनकी खूबसूरती और आत्मविश्वास ने उन्हें मॉडलिंग की दुनिया में पहचान दिलाई. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

ट्यूलिप की किस्मत असली मायनों में तब पलटी जब वह एक शादी में गईं. ये शादी फिल्ममेकर आदित्य चोपड़ा और उनकी पहली पत्नी पायल खन्ना की थी. पायल, ट्यूलिप की करीबी दोस्त थीं और उसी वजह से वह इस शादी में शामिल हुई थीं. पार्टी में ट्यूलिप की खूबसूरती और पर्सनैलिटी ने आदित्य चोपड़ा का ध्यान खींचा. बाद में उन्हें यशराज फिल्म्स की एक रोमांटिक फिल्म ‘मेरे यार की शादी है’ के लिए ऑडिशन के लिए बुलाया गया. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

ट्यूलिप ने ऑडिशन दिया और उन्हें फिल्म में लीड एक्ट्रेस का रोल मिल गया. साल 2002 में रिलीज हुई ‘मेरे यार की शादी है’ ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया. फिल्म में उन्होंने उदय चोपड़ा और जिमी शेरगिल के साथ स्क्रीन शेयर की. फिल्म का म्यूजिक सुपरहिट रहा और ट्यूलिप की मासूमियत को दर्शकों ने खूब पसंद किया. हालांकि, उन्हें हिंदी बोलने में थोड़ी मुश्किल होती थी, इसलिए फिल्म के लिए उन्हें हिंदी की ट्यूशन भी लेनी पड़ी. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

इंडस्ट्री में कदम रखते ही उन्हें सलाह दी गई कि ट्यूलिप नाम बहुत विदेशी लगता है, इसलिए उन्होंने कुछ समय के लिए नाम ‘अंजलि’ भी अपना लिया, लेकिन इससे उन्हें करियर में ज्यादा फायदा नहीं मिला. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

‘मेरे यार की शादी है’ के बाद ट्यूलिप ने ‘दिल मांगे मोर’, ‘धोखा’, ‘मातृभूमि’, ‘सुपरस्टार’, ‘बच्चन’, ‘जट्ट एयरवेज’, और ‘जय हो’ जैसी फिल्मों में काम किया. उन्होंने न सिर्फ हिंदी, बल्कि पंजाबी, कन्नड़, मलयालम और तेलुगू फिल्मों में भी अभिनय किया. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

दर्शकों ने उनकी फिल्म ‘मातृभूमि’ को भी काफी पसंद किया. यह फिल्म महिला भ्रूण हत्या और भारत में महिलाओं की गिरती संख्या जैसे ज्वलंत सामाजिक मुद्दों को उजागर करती है. यह फिल्म दिखाती है कि महिला शिशु हत्या के चलते भारत के एक गांव में कोई भी महिला नहीं बची है. इस स्थिति में पुरुषों की हताशा, हिंसा और क्रूरता में बदल जाती है. फिल्म में ट्यूलिप जोशी ने कलकी नाम की महिला का किरदार निभाया, जिसे एक अमीर इंसान रामचरण अपने पांच बेटों के लिए पत्नी के रूप में खरीदता है. बाद में वह खुद भी उसका शारीरिक शोषण करता है. फिल्म में बलात्कार, घरेलू हिंसा और स्त्री की वस्तु की तरह खरीद-फरोख्त को बेहद अलग अंदाज में दिखाया गया है. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

ट्यूलिप की निजी जिंदगी भी काफी चर्चा में रही. फिल्मों के दौरान उनकी मुलाकात कैप्टन विनोद नायर से हुई, जिन्होंने साल 1995 तक भारतीय सेना का हिस्सा रहने के बाद आर्मी छोड़ दी और बिजनेसमैन बन गए. दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर ये रिश्ता प्यार में बदल गया. करीब चार साल तक दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहे और फिर शादी कर ली. शादी के बाद ट्यूलिप ने फिल्मों से दूरी बना ली और अपने पति के साथ बिजनेस में जुड़ गईं. विनोद नायर ने ‘किंमया’ नाम की एक मैनेजमेंट और ट्रेनिंग कंसल्टिंग कंपनी शुरू की, जिसमें ट्यूलिप जोशी बतौर डायरेक्टर काम कर रही हैं. इसके अलावा, वह एक एस्ट्रोलॉजर भी हैं. फोटो साभार-@tulipkjoshi/Instagram

