अष्टाहनिका पर्व पर आर्यिका माताजी ने 8 दिन का निर्जल उपवास पूरा किया
बड़वानी के बावनगजा सिद्ध क्षेत्र में जैन धर्म के चातुर्मास की शुरुआत हो गई है। अंकलीकर परम्परा के प्रकृताचार्य सुनील सागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका आगम मति माताजी ने मंगल कलश स्थापना की।
.
चातुर्मास के दौरान संत एक ही स्थान पर रहते हैं। वर्षा ऋतु में सूक्ष्म जीवों की रक्षा के लिए यह परंपरा है। इस दौरान तीर्थ क्षेत्र पर धार्मिक, सामाजिक और बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
ट्रस्ट अध्यक्ष विनोद दोशी और समाज के लोगों ने आर्यिका माताजी को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठान के साथ तीन मंगल कलश स्थापित किए गए।
प्रथम कलश किरण विनोद दोशी बीकानेर, द्वितीय कलश चंदा देवी नेमीचंद धामनोद और तृतीय कलश विजया चांदमल मंडलोई बड़वानी परिवार को मिला।
माला मुकेश जैन बड़वानी और मंजू पवन दोशी बीकानेर ने माताजी को वस्त्र भेंट किए। कार्यक्रम में निमाड़-मालवा के श्रावक-श्राविकाएं और बावनगजा के कार्यालय स्टाफ शामिल हुए।
आर्यिका आगम मति माताजी ने अष्टानिका पर्व पर 8 दिन के निराहार-निर्जल उपवास के बाद पारणा किया।