lT Stocks Rally: वैश्विक शेयर बाजार में मिलेजुले कारोबार के बीच बुधवार को डोमेस्टिक स्टॉक मार्केट में गिरावट का रुख रहा. बीएसई पर 30 अंकों वाला सेंसेक्स करीब 200 अंक तक नीचे लुढ़क गया. जबकि एनएसई का निफ्टी 50 भी रेड निशान पर कारोबार कर रहा था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर इन्फोसिस से लेकर विप्रो तक आईटी सेक्टर में इस तेजी की क्या वजह है.
यूएस फेड से कटौती की उम्मीद
दरअसल, हाल में ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में कटौती सितंबर के महीने में हो सकती है, जबक पहले उसने अपने पूर्वानुमान में दिसंबर बताया था. इसके पीछे की वजह ये बताई गई है कि राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से लगाए गए टैरिफ के चलते महंगाई का जो अनुमान लगाया गया था, उससे कम महंगाई की उम्मीद. ऐसे में यूएस फेड के लिए इसमें कटौती समय से पहले ही संभव है.
पुर्तगाल में हाल में एक सम्मेलन के दौरान यूएस फेड चीफ जेरोम पॉवेल ने कहा था कि उनकी तरफ से ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती से पहले जरूर आर्थिक आंकड़ों का इंतजार किया जाएगा. ऐसे में उन्होंने ये बात भी कही थी कि ब्याज दरों में ये कटौती जुलाई की शुरुआत में भी संभव है.
जल्द कटौती के संकेत
जेरॉम पॉवेल के इस संकेत के बाद इन्वेस्टर्स के जरूर मन में एक उम्मीद जगी है. इसके अलावा, भारतीय आटी फर्म को मजबूती मिली है, जो कहीं न कहीं जरूर यूएस की मजबूत इकोनॉमी से लाभ लेती है. कई फर्म को तो यहां तक उम्मीद है कि इस बार यूएस फेड की तरफ से ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट से लेकर 100 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती की जा सकती है.
इन्वेस्टर्स को इसलिए भी उम्मीद है कि भारतीय आईटी कंपनियों के मुनाफे बढ़ेंगे क्योंकि उनकी अधिकतर निर्भरता अमेरिकी ग्राहकों की सर्विस पर टिकी है. ऐसे में यूएस फेड के ब्याज दरों में कटौती से फैसले से बढ़े कैश फ्लो का मतलब है कि अधिक ट्रेड डील हो सकते हैं और ऐसे में आईटी कंपनियों के मुनाफे बढ़ सकते हैं.