‘मन तो किया इनका गला दबा दूं’ अपने ससुर पर बिदक गई थी हसीना, कई हीरो को जड़ा तमाचा, हमेशा शर्तों पर किया काम

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‘मन तो किया इनका गला दबा दूं’ अपने ससुर पर बिदक गई थी हसीना, कई हीरो को जड़ा तमाचा, हमेशा शर्तों पर किया काम


नई दिल्ली. अपनी खूबसूरती और मासूमियत से फिल्म जगत में नाम कमाने वाली वो एक्ट्रेस, जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में सफलता का स्वाद चखा और छोटी सी उम्र में शादी कर घर-संसार बसा लिया. फिल्म जगत से नाता बचपन से था, इसलिए बाल कलाकार के रूप में पर्दे पर आईं और एक्टिंग का जादू सिनेमा पर चलाया. ये बॉलीवुड की वो बेबाक एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने पर्दे पर नामी सितारों के साथ काम किया, लेकिन किसी की एक भी बात गलत नहीं सुनी. ये वो एक्ट्रेस हैं, जो अपने ससुर पर ही सेट पर बितक गई थीं. इतना ही नहीं वह बदमतीजी करने वाले अपने को-स्टार्स को थप्पड़ भी मार चुकी हैं. ये एक्ट्रेस और कोई नहीं अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, विनोद मेहरा, संजीव कुमार, विनोद खन्ना और जीतेंद्र जैसे दिग्गजों के साथ काम कर चुकीं मौसमी चटर्जी हैं.

मौसमी चटर्जी भले अब इंडस्ट्री से दूर हैं. लेकिन अपने पुराने किस्से और इंटरव्यू से सुर्खियों में रही हैं. 70-80 के दशक में मौसमी चटर्जी टॉप एक्ट्रेस बनी हुई थीं. अपने टैलेंट से उन्होंने इंडस्ट्री में ऐसी जगह बना रखी था कि वह देखते ही देखते मेकर्स की पहली पसंद बन गईं. एक्ट्रेस ने न सिर्फ अपने अभिनय के दम पर नाम कमाया बल्कि हमेशा अपनी शर्तों पर काम किया.

मौसमी चटर्जी ने ‘बालिका वधू’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. फोटो साभार- रेडिट

1972 में आकर बॉलीवुड में छा गईं मौसमी

उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1967 में बंगाली फिल्म ‘बालिका वधू’ से की, जो एक बड़ी हिट साबित हुई. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हिंदी सिनेमा में उनकी पहली फिल्म साल 1972 में आई ‘अनुराग’ थी, जिसमें उन्होंने विनोद मेहरा के साथ मुख्य भूमिका निभाई. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और मौसमी को हिंदी सिनेमा में स्थापित कर दिया.

विनोद मेहरा के साथ की 10 फिल्में

इसके बाद ‘घर एक मंदिर’,‘मंजिल’, ‘अनुराग’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ और ‘प्यासा सावन’ समेत कई फिल्मों में नजर आ चुकी हैं. मौसमी चटर्जी का नाम बॉलीवुड की उन चंद एक्ट्रेसेज की लिस्ट में शामिल हैं जो हिट की गारंटी मानी जाती थीं. उन्होंने विनोद मेहरा के साथ 10 फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘अनुराग’, ‘उस पार’, ‘रफ्तार’, ‘उमर कैद’, ‘मज़ाक’, ‘ज़िंदगी’ और ‘दो झूठ’ शामिल हैं.

मौसमी चटर्जी ने दिग्गज डायरेक्टर हेमंत कुमार के बेटे जयंती मुखर्जी से शादी की थी. फोटो साभार- रेडिट

जब ससुर का गला दबाने का किया मन

एक्ट्रेस ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक बार तो सेट पर उनका मन किया था कि वह हेमंत कुमार का गला ही दबा दे, जो बाद में उनके ससुर बने थे. बात उनकी डेब्यू फिल्म के दौरान की ही है, जब उन्हें अपने ससुर पर ही इस कदर गुस्सा आ गया था कि उन्होंने उनका गला दबाने तक की बात सोच ली थी. इस बात का खुलासा खुद मौसमी चटर्जी ने ‘जीना इसी का नाम है’ शो में किया था. उस दौरान उनके पति जयंत मुखर्जी भी उनके साथ थे.

ससुर की ये बात लग गई थी बुरी

मौसमी ने ये किस्सा बताते हुए कहा था कि फिल्म के डायरेक्टर तरुण दा ने उन्हें फिल्म के लिए फाइनल कर लिया था. लेकिन जब हेमंत दा, से उन्हें मिलाया तो उन्होंने मुझे देखते ही कहा था कि ‘ये…ये कर सकेगी, बहुत छोटी है. उस वक्त मुझे लगा कि मैं इनका गला ही दबा दूं. उस वक्त मुझे उन पर बहुत गुस्सा आया था. मौसमी चटर्जी ने अपनी बातचीत में ये भी बताया था कि वह डेब्यू फिल्म में बहुत छोटी थी. वह चाहती थीं कि उनको खेलने को मिले. कई बार तो वह कॉस्ट्यूम में ही बिना किसी को बताए सेट से भाग जाती थीं. बाद में उन्हें वहां नजरों के सामने रखा जाता था.

मौसमी चटर्जी की फिल्मों में विविधता, गहराई और एक खास आत्मीयता देखने को मिलती है. फोटो साभार- रेडिट

हां, मारा… क्योंकि वो इसके लायक थे’

वरिष्ठ फिल्म पत्रकार सुभाष के. झा को दिए एक इंटरव्यू में जब मौसमी चटर्जी से पूछा गया कि क्या ये सच है कि उन्होंने कई बदतमीजी करने वाले हीरो को थप्पड़ मारा है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- ‘हां, मारा था… क्योंकि वो इसके लायक थे’. मौसमी ने कहा कि उस दौर में कई हीरो काफी सेक्सिस्ट रवैया रखते थे. उन्होंने कहा था, ‘लेकिन मैं उन्हें दोष नहीं देती. हमें चीजों को दोनों पहलुओं से देखना चाहिए. हीरो अक्सर हीरोइनों के साथ फ्लर्ट करते थे और बदले में यही उम्मीद रखते थे कि हीरोइनें भी वैसा ही करें. यही तरीका उन्हें आता था. क्योंकि मैंने कोई और तरीका उन्होंने सीखा ही नहीं था.’

‘मर्दों को मां, बहनें और पत्नियां सिर पर चढ़ा कर रखती हैं’

मौसमी ने कहा था, ‘मर्दों को बचपन से उनकी मां लाड़-प्यार में पालती हैं, फिर उनकी बहनें और पत्नियां भी उन्हें उसी तरह सिर पर चढ़ा कर रखती हैं. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता कि औरतों के साथ व्यवहार का एक सम्मानजनक तरीका भी हो सकता है.’



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