मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर वरिष्ठ कवि लेखक शैलेश लोढ़ा ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा हमें इसने संवेदनहीन कर दिया है कि किसी का एक्सीडेंट होता है तो हम बचाते नहीं रिकॉर्ड करते है। उन्हें कुछ दिनों पुरानी बात का जिक्र करते हुए कहा- पिछले दिनों मेंने एक
.
उन्होंने आगे कहा- हम इतने संवेदनहीन हो गए है, धर्म जी हॉस्पिटल में एडमिट थे, परिवार पास में बैठ कर दुख मना रहा था तो कोई यह रिकॉर्ड कर रहा है। हमारे लिए आंसू क्या बेचने की चीज है। आप जिंदगी ही जी ही नहीं रहे। आप यहां है ही नहीं। जब आप रिकॉर्ड करते है तो इसने यादें छीन ली। इसने घड़ी छीन ली, इसने केलकुलेटर छिन लिया, इसने बच्चे छीन लिए, इसने रिश्ते छीन लिए।
शैलेश लोढ़ा ने अपनी भाषा अपनाने पर जोर देते हुए कहा- आज भाषा ही नहीं बिगड़ी आचरण भी बिगड़ गया। उन्होंने कहा- किताब ही सबसे बड़ी ताकत है, उसे ना चार्ज करना पड़ता। वहीं यदि किताब गिर भी जाए तो टूटती नहीं।
उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव कुलदीप रांका पत्नी के साथ कवि सम्मेलन देखने पहुंचे।
कवि सम्मेलन में संजय झाला, अशोक चारण और पार्थ नवीन ने वीर रस, व्यंग रस और हास्य रस से समा बांध दिया। संजय झाला ने कहा- सैनिकों के लिए बहुत गलत कहा जाता है। उन्होंने में उड़ीसा में सैनिको के लिए कही बात कि सैनिक को तो मरने के लिए पैसे मिलते है। उन्होंने अपने अंदाज में कहा- लो मैं बीस लाख देता हूं, तुम किस्मत के बेटों को हिम्मत है तो मंत्री भेजे अपने बेटे को।
उन्होंने आगे कहा- नेताजी भावुक हो गए और मंच पर जाकर बोले में भावुक हो गया और मैं अपने बेटे को फौज में लड़ने के लिए भेजना चाहता हूं। तो उसने कहा- तो मैं क्या करू। नेताजी बोले मेरा बेटा नहीं है तो उसने कहा मैं क्या करू तो नेताजी बोले मैं आपको गोद लेना चाहता हूं।
अशोक चारण ने आतंकियों और पाकिस्तान पर तंज कसते हुए चार पंक्तियों में कहा- कोने में छुपा शाहिद बोला तोबा तोबा तयबा हम बेसहारा हो गए। जिन चीनियों की दोस्ती पर था घमंड तुम्हें, हाथ जोड़कर वो भी किनारा हो गए। पाकिस्तान के जेट भारत की धरती को भी ना छू पाए और आसमां में ही अल्लाह को प्यारे हो गए।
वहीं पार्थ नवीन बोले- 6 देश घुमा लेकिन भारत जैसा कोई नहीं। उन्होंने कहा- ना तो गंगा जैसा पानी कही। ना तो शहीदों से कहानी कहीं। ना तो धर्मों में अंतर। ना वो संत दिगंबर। जग घुमाया थारे जैसा ना कोही।जग घुमाया थारे जैसा ना कोही। ना तो झांसी वाली रानी कहीं। ना ही पन्ना सी मर्दानी कहीं। बाबा बर्फानी कहीं भी ना। ना ही राणा सी कहानी कहीं। जितना भी कहूं कम है। जग घुमाया लेकिन तेरा ना कही।
कार्यक्रम में शुरुआत से लेकर अंत तक हास्य के दिग्गजों ने दीप स्मृति सभागार को ठहाकों से गुंजाया। शैलेश लोढ़ा, संजय झाला, पार्थ नवीन और अशोक चारण ने श्रोताओं को किया लोटपोट- खचाखच भरे हॉल में राजकुमार जैन मैट्रिमोनी द्वारा प्रायोजित शानदार कवि सम्मेलन शनिवार देर रात संपन्न हुआ
हास्य और व्यंग्य की फुहार शैलेश लोढ़ा: ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ फेम शैलेश लोढ़ा ने अपनी चिर-परिचित शैली में समसामयिक मुद्दों पर तीखे मगर गुदगुदाने वाले व्यंग्य प्रस्तुत किए। उनकी कविताएं समाज की विसंगतियों पर हल्की-सी चुटकी लेती रहीं, जिस पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं।
संजय झाला: अपनी अद्भुत शब्द-शैली और भाव-भंगिमाओं के लिए पहचाने जाने वाले संजय झाला ने राजनीतिक और सामाजिक हास्य से श्रोताओं को हंसी से लोटपोट कर दिया। उनके हास्य-व्यंग्य ने एक पल के लिए भी दर्शकों को शांत नहीं बैठने दिया।
पार्थ नवीन: युवा और ओजस्वी कवि पार्थ नवीन ने अपनी कविताओं में रिश्तों और आधुनिक जीवनशैली के मजेदार पहलुओं को छुआ, जिससे युवा वर्ग खुद को पूरी तरह जोड़ पाया।
अशोक चारण: आज और हास्य का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत करते हुए, कवि अशोक चारण ने अपनी कविताओं के माध्यम से जहां एक ओर देशभक्ति का जज़्बा भरा, वहीं दूसरी ओर अपने व्यंग्यों से खूब मनोरंजन किया।
प्रदीप गुगलिया ने बताया कि जनता का उत्साह देखकर लगा कि ऐसे आयोजनों की जयपुर में कितनी ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि कवियों की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को इतना हंसाया कि सभागार का माहौल पूरी तरह खुशनुमा हो गया ।इस कवि सम्मेलन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि हास्य, साहित्य और कविता आज भी आम जनता के बीच गहरी पैठ बनाए हुए हैं।

