राजस्थान के ठेकेदारों की लगातार बढ़ती समस्याओं को लेकर संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सरकार और विभागीय अधिकारियों की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए जोधपुर में धरना दे दिया है। संघर्ष समिति संयुक्त ठेकेदार महासंघ राजस्थान प्रदेश के बैनर तले पीडब्ल्य
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संघर्ष समिति के अध्यक्ष किरोड़ीमल मोदी ने बताया कि प्रदेश में ठेकेदारों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है। कई विभागों में 30 से 90 दिन तक का विलंब हो जाता है, जिससे ठेकेदारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। उपाध्यक्ष बीएस राव ने कहा कि विभागीय स्तर पर बार-बार फाइलें अटकाई जाती हैं और भुगतान में अनावश्यक देरी की जाती है। महासचिव नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की मनमानी और पारदर्शिता की कमी के कारण ठेकेदारों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
महासचिव सोलंकी ने बताया कि कई बार जीएसटी की राशि का भुगतान अलग से नहीं किया जाता, जिससे ठेकेदारों को नुकसान उठाना पड़ता है। यहां तक कि फाइलों की स्वीकृति के बाद भी विभागीय स्तर पर अनावश्यक आपत्तियां लगाकर भुगतान रोका जाता है। मीडिया प्रभारी सुनील गर्ग ने बताया कि कई बार बिना किसी कारण के ठेकेदारों की सुरक्षा राशि वर्षों तक अटकी रहती है, जिससे उनके व्यवसाय पर सीधा असर पड़ता है।
अन्य प्रमुख समस्याएं और मांगें
- विभागीय टेंडरों में समय विस्तार (Time Extension) के मामलों को उच्चाधिकारियों के स्तर पर लंबित रखा जाता है, जिससे ठेकेदारों का कार्य प्रभावित होता है।
- 2017 के बाद से लागू SOP के अनुरूप सभी विभागों में एक समान नियम लागू नहीं किए गए, जिससे ठेकेदारों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
- G-Schedule के तहत पहले से किए गए भुगतान में जीएसटी की दरों में अंतर आने से ठेकेदारों को नुकसान की भरपाई नहीं की गई।
- पंजीकृत ठेकेदारों से बिना किसी कारण के अतिरिक्त राशि वसूली जा रही है, जबकि पुराने नियमों के अनुसार यह गलत है।
- विभागीय टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और मनमानी के कारण ठेकेदारों का विश्वास कमजोर हो रहा है।
संघर्ष समिति का अल्टीमेटम
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार और विभागों ने 30 दिनों के भीतर ठेकेदारों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो प्रदेशभर के ठेकेदार सामूहिक रूप से कार्य बहिष्कार और आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि ठेकेदारों के साथ हो रहे शोषण और आर्थिक नुकसान को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह समय पर भुगतान, नियमों की पारदर्शिता और ठेकेदारों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे।
मंत्रियों व विभागीय अफसरों से सिर्फ आश्वासन मिल रहा
“हम बार-बार अपनी समस्याएं सरकार और विभागों के सामने रख चुके हैं, लेकिन ठोस समाधान नहीं निकल रहा। अगर जल्द ही हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरे प्रदेश में ठेकेदार आंदोलन करेंगे।”
— नरेंद्र सोलंकी, महासचिव, संघर्ष समिति