विकास दिव्यकीर्ति ने वीडियो में न्यायपालिका को लेकर की थी विवादित टिप्पणी
विकास दिव्यकीर्ति सर को तो आप जानते ही होंगे। अगर नहीं जानते तो बता दें कि विकास दिव्यकीर्ति दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान के संस्थापक हैं और ये Youtube पर अक्सर छाए रहते हैं। सर विद्यार्थियों के चहेते टीचर हैं। सर आजकल एक विवाद में घिर गए हैं और ये विवाद है न्यायपालिका पर कथित तौर पर अपमानजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणी करना। उनकी इस टिप्पणी को लेकर कमलेश मंडोलिया नाम के एक वकील ने अजमेर की एक कोर्ट में उन पर मानहानि का मुकदमा कर दिया।
कोर्ट ने मामले पर लिया संज्ञान
Live Law की रिपोर्ट के अनुसार, अब उनकी इस टिप्पणी को लेकर अजमेर की एक अदालत ने उनके यूट्यूब वीडियो में न्यायपालिका पर कथित तौर पर अपमानजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के लिए मानहानि की शिकायत पर संज्ञान लिया है। जिसमें कोर्ट ने कहा कि विकास दिव्यकीर्ति ने दुर्भावनापूर्ण मंशा से जानबूझकर लोकप्रियता पाने के लिए न्यायपालिका की छवि को ठेस पहुंचाई। कोर्ट ने उनके खिलाफ BNS 2023 की धाराओं और IT एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।
वीडियो में क्या बोल गए थे विकास दिव्यकीर्ति?
दरअसल, Youtube पर पड़े “IAS vs Judge: कौन ज्यादा ताकतवर?” वाले वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति ने IAS अधिकारियों और जजों की शक्तियों की तुलना की थी। इस दौरान वीडियो में उन्होंने कुछ ऐसी बातें बोल दी थीं कि जिससे उनके खिलाफ कोर्ट में मानहानि की शिकायत कर दी गई। हालांकि, वीडियो को अब Youtube से डीलिट कर दिया गया है। लेकिन वीडियो उनके डीलिट करने से पहले वायरल हो चुका था और कई लोगों के पास पहुंच चुका था। वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति सर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “हाईकोर्ट बहुत ताकतवर होता है और अगर मुख्यमंत्री कोर्ट की अवमानना करे तो वह भी नप सकता है।” इसके अलावा, उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम और न्यायिक नियुक्तियों पर भी टिप्पणी की, जिन्हें कुछ लोगों ने न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला माना। वीडियो में जिला न्यायाधीशों और जिला मजिस्ट्रेटों की शक्तियों की तुलना भी की गई थी, जिसमें यह कहा गया कि न्यायिक शक्ति पुलिस के सहयोग पर निर्भर है।
Youtube पर पड़े वीडियो का थंबनेल, जिसमें विकास दिव्यकीर्ति ने कथित तौर पर कोर्ट पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। अब ये वीडियो Youtube से हटा दिया गया है।
अजमेर कोर्ट की कार्रवाई
विकास दिव्यकीर्ति के इस वीडियो को लेकर अजमेर कोर्ट ने अपमानजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के लिए मानहानि की शिकायत पर संज्ञान लिया है। अजमेर के अतिरिक्त सिविल जज और न्यायिक मजिस्ट्रेट मनमोहन चंदेल की अदालत ने 8 जुलाई 2025 को आदेश दिया कि वीडियो में न्यायपालिका का उपहास किया गया, जिससे इसकी गरिमा, निष्पक्षता और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। कोर्ट ने इसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 356 (1), (2), (3), (4) और धारा 353(2) के तहत अपराध माना, जो मानहानि और न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक व्यवहार से संबंधित हैं। ऐसे में कोर्ट ने विकास दिव्यकीर्ति को 22 जुलाई 2025 को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
कोर्ट के आदेश पर विकास दिव्यकीर्ति ने क्या कहा?
मामले को लेकर विकास दिव्यकीर्ति ने दावा किया कि जिस यूट्यूब चैनल पर वीडियो अपलोड हुआ, उससे उनका कोई संबंध नहीं है और वीडियो को उनकी सहमति के बिना किसी तीसरे पक्ष द्वारा एडिट कर अपलोड किया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनकी टिप्पणियां सामान्य और सार्वजनिक महत्व के विषय पर थीं, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आती हैं। साथ ही, शिकायतकर्ता कमलेश मंडोलिया को BNS की धारा 356 के तहत “पीड़ित व्यक्ति” नहीं माना जा सकता, क्योंकि वीडियो में किसी व्यक्ति या समूह का नाम नहीं लिया गया है। हालांकि, कोर्ट ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि एक शिक्षक और संस्थान के निदेशक के रूप में उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि उनका भाषण रिकॉर्ड हो सकता है और सार्वजनिक हो सकता है।
विकास दिव्यकीर्ति
कोर्ट का रुख
कोर्ट ने माना कि वीडियो में की गई टिप्पणियां न्यायपालिका की छवि और विश्वसनीयता को धूमिल करती हैं, जिससे जनता में इसके प्रति अविश्वास और संदेह पैदा हो सकता है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अरुंधति रॉय (2002) और प्रशांत भूषण (2020) मामलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं हैं। कोर्ट ने अजमेर पुलिस को मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया है।
शिकायतकर्ता का दावा
शिकायत वकील कमलेश मंडोलिया ने दायर की थी, जिनका कहना है कि वीडियो में “हाईकोर्ट दोनों को टांग देगा” जैसे बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं। वकील अशोक सिंह रावत ने कोर्ट में तर्क दिया कि दिव्यकीर्ति का बयान पूरे न्यायिक सिस्टम के लिए अपमानजनक था।
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