परिजन का आरोप है कि घटना रीवा की है, पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए गोविंदगढ़ बुलाया और अलग-थलग कर आरोपियों की तरह पूछताछ की।
रीवा के संजय गांधी अस्पताल में अटेंडर के तौर पर आई एक नाबालिग के साथ कथित गैंगरेप के मामले में पीड़ित पक्ष ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
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पीड़ित और उसके परिजन का कहना है कि 8 और 9 मई की दरम्यानी रात अस्पताल के तीन वॉर्ड बॉय और एक अन्य ने मिलकर उसके साथ गैंगरेप किया। लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने में टालमटोल की। सिर्फ छेड़छाड़ की धाराओं में एफआईआर की।
परिजन का ये भी आरोप है कि हमें दिन में थाने बुलाने की जगह रात में रेस्ट हाउस बुलाया और बार-बार समझौता करने का दबाव बनाते रहे।
दैनिक भास्कर से बात करते हुए पीड़िता के भाई ने बताया कि
मेरी बहन के साथ गैंगरेप की घटना हुई है। मामला सामने आने के बाद पूछताछ का कहकर पूरे परिवार को 24 घंटे तक बंधक बनाया गया। इस दौरान खाने-पीने तक के लिए कुछ भी नहीं दिया।
पीड़िता के भाई का कहना है कि मां अस्पताल में भर्ती थी। उसकी नाक में समस्या थी, सर्जरी होनी थी। हमने कहा था कि बहुत अधिक लंबे समय के लिए भर्ती मत करवाइए। लेकिन डॉक्टर्स की सलाह पर उन्हें भर्ती रखना पड़ा।
पीड़िता के पिता बोले- हमसे अपराधियों की तरह व्यवहार कर रहे
पीड़िता के पिता का कहना है कि,

मैं बदनसीब हूं कि बेटी के साथ ऐसा हुआ और अब न्याय मांगने पर हमें अपराधी की तरह ट्रीट किया जा रहा है। अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा घटना को इस तरह से दबाने की कोशिश की जा रही है जैसे कि मेरी बेटी को अगर न्याय मिल जाएगा तो किसी का कुछ बिगड़ जाएगा।
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टर्स ही मेडिकल रिपोर्ट को बनाते हैं। रिपोर्ट के साथ अगर छेड़खानी हो जाए तो हम क्या करेंगे, कहां जाएंगे। कोर्ट मामले को संज्ञान में ले।
उन्होंने कहा- मात्र घटना को छिपाने के लिए इस तरह का काम किया जा रहा है। अब तक पुलिस के पास शिकायत कर रहा था। लेकिन अब पुलिस के खिलाफ शिकायत करने पर मजबूर हो रहा हूं।

अस्पताल में स्ट्रेचर पर किसी को ले जाने का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। दावा है कि स्ट्रेचर पर पीड़िता लेटी है, जबकि उसे ले जा रहे लोग आरोपी ही हैं, जो उसे अस्पताल के ही एक अन्य विभाग के सामने छोड़कर मौके से फरार हो गए।
पीड़िता बोली- AI से एडिट कर मेरी न्यूड फोटो भेजी, धमकाया पीड़िता ने भास्कर रिपोर्टर से बात करते हुए कहा- मैं मां के इलाज के लिए आई थी। अटेंडर के तौर पर मेरा नंबर पर्ची में दर्ज था। जहां से वॉर्ड बॉय महेंद्र ने मेरा नंबर चुरा लिया, फिर मुझे कई बार वॉट्सऐप पर हाय-हेलो लिखकर मैसेज किए। मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सोचा कि हो सकता है कि किसी परिचित का नंबर होगा।
पीड़िता ने बताया- एक दिन मेरी डीपी पर लगी फोटो को उसने AI से एडिट करके भेजा। वो न्यूड तस्वीर थी। मैं देखकर घबरा गई। उसने AI वाली तस्वीर को वायरल करने की धमकी दी। मुझसे लगातार मुलाकात का दबाव बनाता रहा, लेकिन मैंने उसकी बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया।
मुझे गोली खिलाई, शरीर सुन्न हो गया, फिर मेरे साथ गलत किया नाबालिग पीड़िता ने बताया कि रविवार की शाम मुझे गले में दर्द था तो महेंद्र ने एक गोली दी, मैंने उसे खाया तो मेरा पूरा शरीर सुन्न पड़ने लगा। अस्पताल से कुछ ही दूरी पर मुझे घसीटता हुआ एक रूम के भीतर ले गया। शरीर और दिमाग दोनों सुन्न पड़ चुके थे। इस बीच 3 लोग और आ पहुंचे और मेरे साथ गैंगरेप किया।
मैं बदहवास और बेहोशी में थी। मेरा शारीरिक शोषण किया गया। इसके बाद मुझे वहीं छोड़कर चले गए। किसी तरह लड़खड़ाते हुए अस्पताल चौकी पहुंची। चक्कर खाकर अस्पताल चौकी के पास ही मंदिर के सामने गिर पड़ी। फिर काफी देर तक क्या हुआ, यह भी याद नहीं। मैंने डॉक्टरों को भी बताया कि मेरे साथ कई लोगों ने रेप किया है। पुलिस ने मेरी मर्जी से कथन नहीं लिखे।
थाने नहीं, रेस्ट हाउस बुलाया, हम पर दबाव बनाते रहे पीड़िता के भाई ने बताया कि मंगलवार को मैं भी घर पर ही था। दिन में पुलिस वाले बयान दर्ज करने घर पहुंचे। लेकिन वहां पर बयान दर्ज नहीं किए गए। अचानक रात में आने के लिए कहा गया। हमने पूछा कहां आना है तो कहा गया कि गोविंदगढ़ रेस्ट हाउस आना है।
बहन को परिवार से अलग कर दिया गया। किसी से मिलने तक नहीं दिया गया। फिर कभी किसी जगह तो कभी किसी जगह ले जाकर लगातार दबाव बनाया जाता रहा। जबरन कथन और बयान लिखे गए। बहन कुछ और बताती रही जबकि पुलिस कुछ और लिखती रही।”
अधीक्षक पहले बोले- दुष्कर्म हुआ, फिर बयान से पलटे अस्पताल अधीक्षक ऑन कैमरा दिए अपने बयान से पलट गए। राहुल मिश्रा ने शुरुआत में कहा था कि दो वॉर्ड बॉय द्वारा दुष्कर्म की सूचना पर पीड़िता को भर्ती किया गया है। रिकॉर्ड में भी यही दर्ज है। अब कहा जा रहा है कि सिर्फ छेड़छाड़ की जांच हो रही है।

मंगलवार को अधीक्षक ने ये बयान दिया था।
कांग्रेस का आरोप- डिप्टी सीएम के रिश्तेदार को बचाने का प्रयास पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि अधीक्षक राहुल मिश्रा डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के भांजे हैं, इसलिए मामले को दबाया जा रहा है।
पटवारी ने लिखा-

मध्यप्रदेश में जंगलराज की एक और तस्वीर सामने है। जहां गैंगरेप की घटना के बाद पुलिस रिपोर्ट लिखने की जगह पीड़िता के परिवार पर ही दबाव बना रही है। क्योंकि उस अस्पताल का अधीक्षक स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल का भांजा है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ट्वीट कर महिला सुरक्षा को लेकर डिप्टी सीएम से इस घटना पर जवाब मांगा है।
रेस्टहाउस पास पड़े इसलिए गोविंदगढ़ बुलाया- एसपी एसपी विवेक सिंह ने कहा कि छेड़खानी की सूचना मिलने पर मामला दर्ज किया गया है। अज्ञात आरोपियों पर जांच चल रही है। तीन संदिग्ध हिरासत में हैं। पूछताछ के लिए बुलाने वाली बात पर विवेक सिंह ने कहा कि परिवार को गोविंदगढ़ रेस्ट हाउस नजदीक पड़े इसलिए वहां बुलाया गया था।
