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बराक नदी के शांत बहाव को ढाल समझकर ड्रग माफिया 12.5 करोड़ की हेरोइन म्यांमार से असम में घुसा रहे थे, मगर एनसीबी की नजर से बच न सके. गुवाहाटी यूनिट ने सीआरपीएफ और असम पुलिस के साथ सिलचर के पास संदिग्ध नाव पकड़ी, जिसमें 530 साबुन डिब्बों में छिपी 6.14 किलो हेरोइन बरामद हुई. दो तस्कर गिरफ्तार.
अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया ने सोचा था कि नदी के बीच से वो गुपचुप अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पार कर लेंगे, पर किस्मत ने साथ छोड़ दिया. बराक नदी की ठंडी धुंध के बीच जब एनसीबी की नजर चली,तो 12.5 करोड़ की हेरोइन से लदी नाव पकड़ी गई और माफिया का पूरा खेल वहीं ध्वस्त हो गया. नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी ने एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क की कमर तोड़ते हुए असम में 12.5 करोड़ रुपये की हेरोइन बरामद की है. म्यांमार से बराक नदी के रास्ते लाई जा रही यह खेप सुरक्षा एजेंसियों की निगाह से बचने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी. मणिपुर के जंगलों में बढ़ती सुरक्षा के चलते माफिया ने पानी के रास्ते को सुरक्षित समझा, लेकिन इंटेलिजेंस की तेज धार ने उनका यह भरोसा भी डुबो दिया.
विशेष खुफिया इनपुट पर एनसीबी की गुवाहाटी यूनिट, सीआरपीएफ और असम पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया. 1 दिसंबर की रात सिलचर के पास बराक नदी के शांत पानी में एक संदिग्ध नाव नजर आई. एजेंसियों ने उसे रोका, तलाशी शुरू हुई और तभी सामने आया 6.14 किलो का सफेद मौत का जखीरा. इसे 530 साबुन के डिब्बों में छिपाया गया था, ऊपर बांस की मोटी परत बिछाई गई थी ताकि नाव सामान्य मालवाहक लगे. नाव में मौजूद दोनों तस्कर असम के कछार जिले के निवासी है. सभी मौके पर दबोच लिए गए.
पूछताछ में शुरुआती जानकारी मिली कि यह खेप म्यांमा बॉर्डर से नदी के रास्ते कई चरणों में आगे भेजी जाती थी, जिससे जंगलों में कड़ी चेकिंग से बचा जा सके. लेकिन इस बार नेटवर्क की हर चाल नाकाम रही. एनसीबी अधिकारियों के मुताबिक जब्त की गई हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में करीब 12.5 करोड़ रुपये है. यह बरामदगी सिर्फ एक खेप नहीं, बल्कि उस रूट की पोल खोलने वाला बड़ा झटका है जिसके ज़रिए नॉर्थईस्ट में ड्रग्स की आपूर्ति बढ़ रही थी. दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. एजेंसियों की नज़र अब इस नेटवर्क के बड़े सरगनाओं पर है, जो नदी की लहरों को नशे का रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन इस बार वही लहरें उनके खिलाफ सबूत बन गईं.
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पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

