Thursday, June 26, 2025
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Bihar Nuclear Power Plant News: बिहार में कहां बनेगा पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र? जान लें मोदी सरकार का यह प्लान


पटना. बिहार में भी अब कनाडा, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जापान जैसे देशों के परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर आएंगे. यह सपना मोदी सरकार ने बिहार चुनाव से पहले दिखाया है. दरअसल, बिहार में पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगने जा रहा है. खास बात की जिन देशों का जिक्र किया है, उन देशों के साथ भारत ने परमाणु साझेदारी कर रखी है. बिहार में बिजली की कमी को दूर करने और ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 24 जून 2025 को पटना में बड़ा ऐलान करते हुए कहा था कि बिहार में भी अब परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित होगा. यह संयंत्र देश की नई परमाणु ऊर्जा मिशन के तहत बनने वाले छह छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) में से एक होगा.

कहां बनेगा परमाणु संयंत्र?

बिहार में परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए नवादा जिले के रजौली को चुना गया है. 2013 में परमाणु ऊर्जा आयोग की एक टीम ने इस जगह का दौरा किया था और इसे उपयुक्त पाया था. इस संयंत्र के लिए करीब 3,000 एकड़ जमीन की जरूरत होगी, जिसे बिहार सरकार ने उपलब्ध कराने का वादा किया है. साथ ही, फुलवरिया बांध से पानी की आपूर्ति के लिए केंद्रीय जल आयोग से मंजूरी का इंतजार है. यह संयंत्र 2,000 मेगावाट बिजली पैदा करेगा, जिसमें चार यूनिट होंगी. प्रत्येक यूनिट 700 मेगावाट की होगी. यह बिहार की बिजली कमी को दूर करने और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में गेम-चेंजर साबित हो सकता है.

किन देशों को बेचेगा बिजली?

फिलहाल, बिहार के प्रस्तावित परमाणु संयंत्र से बिजली निर्यात की कोई आधिकारिक योजना नहीं है. भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम मुख्य रूप से घरेलू बिजली जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित है. बिहार में यह संयंत्र राज्य की बिजली मांग को पूरा करने और ग्रिड स्थिरता बढ़ाने के लिए बनाया जा रहा है. भारत पहले से ही रूस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से यूरेनियम आयात करता है, लेकिन बिजली निर्यात का कोई ठोस प्रस्ताव सामने नहीं आया. भविष्य में अगर बिजली का निर्यात करती है तो नेपाल,भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों को की जा सकती है.

चुनावी साल में मोदी सरकार का प्लान

2025 बिहार विधानसभा चुनाव का साल है और इस घोषणा को सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है. मोदी सरकार की नई परमाणु ऊर्जा मिशन में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश से छह SMRs बनाने की योजना है, जिसमें बिहार का संयंत्र शामिल है. यह मिशन छोटे, सुरक्षित और लागत-कुशल रिएक्टरों पर जोर देता है, जो निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देगा. बिहार में संयंत्र की घोषणा से NDA को चुनावी बढ़त मिल सकती है, क्योंकि यह बिजली आत्मनिर्भरता और औद्योगिक विकास का वादा करता है. साथ ही, केंद्र ने बिहार के लिए 1,000 मेगावाट बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट और 80 लाख स्मार्ट मीटर की स्थापना को भी हरी झंडी दी है, जो नीतीश सरकार की उपलब्धियों को चमकाएगा.

बिहार के लिए इसका महत्व

बिहार में बिजली की कमी लंबे समय से चुनौती रही है. यह संयंत्र न केवल बिजली आपूर्ति को स्थिर करेगा, बल्कि उद्योगों को बढ़ावा देगा और रोजगार सृजन करेगा. SMRs का डिजाइन पारंपरिक बड़े रिएक्टरों से छोटा और सुरक्षित है, जिससे निर्माण समय और लागत कम होगी. हालांकि, फुकुशिमा हादसे के बाद परमाणु संयंत्रों को लेकर जनता में डर भी है. बिहार सरकार को स्थानीय लोगों को भरोसा दिलाना होगा कि सुरक्षा मानकों का पालन होगा.



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