मेरठ में रविवार को मजदूर संघर्ष संगठन की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें सरकार द्वारा चार श्रम संहिताओं को लागू कर देने के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस दौरान संगठन के कार्यकर्ताओं ने तय किया कि 26 नवंबर के राष्ट्रव्यापी विरोध व प्रदर्शन में बढ़ चढ़कर भागेदारी ज
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तत्काल रद हो कानून
संगठन के अनुसार ये कानून पूंजीवादी हितों की रक्षा करते हैं और मजदूरों को गुलामी की ओर धकेलने वाले हैं। इसलिए संगठन ने मजदूरों, यूनियनों और सामाजिक संगठनों से अपील की कि वे इन मजदूर-विरोधी कानूनों के खिलाफ हर स्तर पर संघर्ष को तेज करें। सरकार द्वारा लागू किए गए ये श्रम कानून मजदूरों की समस्याओं का समाधान नहीं करते, बल्कि उनके शोषण को संस्थागत रूप से बढ़ाते हैं। इसके साथ ही मजदूरों की एकजुट ताकत को कमजोर करने का प्रयास हैं। उन्होंने कहा कि चारों श्रम संहिताओं को पूर्णतः रद्द किया जाए।
14 दिसंबर को भी रहेगी भागेदारी
संगठन ने यह भी तय किया कि 14 दिसंबर को मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान के अंतर्गत आयोजित अखिल भारतीय मजदूर अधिकार दिवस में मजदूर संघर्ष संगठन व्यापक और निर्णायक भागीदारी सुनिश्चित करेगा। इसके लिए आने वाले दिनों में मजदूर वर्ग एवं मेहनतकश जनता के बीच निरंतर प्रचार अभियान चलाया जाएगा, ताकि बड़े पैमाने पर सहभागिता सुनिश्चित हो सके।

